मंजिल भले एक स्वप्न हो,
पथ पर चलना अनंत हो
रास्ता मगर ये सत्य है
मंजिल मिले न मिले
पदचिंह तेरे, पैरो में छाले ये, एक तथ्य है
पदचिंह तेरे, पैरो में छाले ये, एक तथ्य है
रुकना नहीं, चलना तेरा कर्तव्य है
जानता हूँ, के थक के हुआ तू चूर है
पर मंजिल नहीं, ये पसीना अब गुरूर है ।
विजय भले एक स्वप्न हो
शत्रु चाहे अनंत हो
तू लड़ा मगर ये सत्य है
विजय मिले न मिले
कटे अंग, लहू से लथपथ बदन, एक तथ्य है
आराम नहीं, लड़ना तेरा कर्तव्य है
जानता हूँ, विजय के लिए तू शुरुर है
पर विजय नहीं, कटा जो सर तो गुरूर है ।
सुख भले एक स्वप्न हो
कठिनाई चाहे अनंत हो
तू जिया मगर ये सत्य है
सुख मिले न मिले
दुःख तूने जो झेले, सच तूने जो बोले, एक तथ्य है
मरना नहीं, जीना तेरा कर्तव्य है
जानता हूँ, दुःख से तू मजबूर है
पर सुख नहीं, जीवन पर अब गुरूर है ।
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