Friday, October 12, 2012

जहाँपना !

पर्वतो ने पिघलने से किया कब मना
पर न करे मैला, कोई गंगा को जहाँपना |

बादलो ने बरसने से किया कब मना
कोई झूम के बारिश में नाचे तो जहाँपना |

वृक्षों ने कटने से किया कब मना 
लिखे तो कोई गीता फिर से जहाँपना |

पथरो ने रास्तो से, किया कब हटने से मना 
पर कोई निकले तो इन रास्तो पर जहाँपना |

पूजा भक्ती करने से किया कब किसने मना
ह्रदय हनुमान, पर कभी राम तो मिले जहाँपना |

यह जान देने से किया किसने कब मना
पर इस जान की कोई कीमत तो हो जहाँपना |

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