जब कलम चली जब कलम चली
भोली भाली कलम चली
दिखने में तो सीधी सादी
पर ताकत रखती बहुत बड़ी
जब कलम चली जब कलम चली |
खुद तो चल सकती न यह
पर दुनिया को चलाये
भोली भाली कलम चली
दिखने में तो सीधी सादी
पर ताकत रखती बहुत बड़ी
जब कलम चली जब कलम चली |
खुद तो चल सकती न यह
पर दुनिया को चलाये
और जो इसको चलाना जाने है
है दुनिया उसको शिक्षित माने
जब कलम चली जब कलम चली |
रक्षक बनी तो भक्षक कभी
न्याय कभी अन्याय कभी
इसको है जिधर मोड़ दिया
भैया यह तो उधर मुड़ी
जब कलम चली जब कलम चली |
इतिहास लिखा तो कभी कविता
और महापुरुषों की वाणी को
इसने ही तो अमर किया
विध्यानो के हाथो में जाकर
यह धन्य हुयी यह धन्य हुयी
जब कलम चली जब कलम चली |
आना जाना तो लगा रहा
पर न यह कभी थकी
न कभी रुकी
जब कलम चली जब कलम चली |
देश के विकास की है यह जादुई छड़ी
करना है कुछ ऐसा
रह जाए न कोई ऐसा
जिसके जेब में हो न कलम लगी
जब कलम चली जब कलम चली |
है दुनिया उसको शिक्षित माने
जब कलम चली जब कलम चली |
रक्षक बनी तो भक्षक कभी
न्याय कभी अन्याय कभी
इसको है जिधर मोड़ दिया
भैया यह तो उधर मुड़ी
जब कलम चली जब कलम चली |
इतिहास लिखा तो कभी कविता
और महापुरुषों की वाणी को
इसने ही तो अमर किया
विध्यानो के हाथो में जाकर
यह धन्य हुयी यह धन्य हुयी
जब कलम चली जब कलम चली |
आना जाना तो लगा रहा
पर न यह कभी थकी
न कभी रुकी
जब कलम चली जब कलम चली |
देश के विकास की है यह जादुई छड़ी
करना है कुछ ऐसा
रह जाए न कोई ऐसा
जिसके जेब में हो न कलम लगी
जब कलम चली जब कलम चली |
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