लहू रगों में है जो तेरी
उसको तू तेज़ाब बना ।
साँसें तेरी जो चलती हैं
उससे तू आंधी को ला ।
कदमो की आहट से तेरी
भूकंप भी अब मुश्किल न हो ।
हुंकार तेरी अब ऐसी हो
सिंह गर्जना जैसी हो ।
आग तेरे है जो दिल में
उससे खुद को और तपा।
बारिश की बूंदों से तू
शीतल बिलकुल मत हो जा ।
हरियाले उपवन को देख
ख्याल किसी के मत खो जा ।
कोयल की मधुर ध्वनि को सुन
इस रस्ते में तू मत सो जा ।
बाँध कल्पना को अपनी
ख्वाबो से खुश मत हो जा ।
सुनहरे पवन के स्पर्श से
एक कवि तू मत हो जा ।
बातो बातो में आज तू
एक दार्शनिक मत हो जा ।
निगाह तेरी मंजिल पर हो
रास्ते-संगियो मत खो जा ।
उसको तू तेज़ाब बना ।
साँसें तेरी जो चलती हैं
उससे तू आंधी को ला ।
कदमो की आहट से तेरी
भूकंप भी अब मुश्किल न हो ।
हुंकार तेरी अब ऐसी हो
सिंह गर्जना जैसी हो ।
आग तेरे है जो दिल में
उससे खुद को और तपा।
बारिश की बूंदों से तू
शीतल बिलकुल मत हो जा ।
हरियाले उपवन को देख
ख्याल किसी के मत खो जा ।
कोयल की मधुर ध्वनि को सुन
इस रस्ते में तू मत सो जा ।
बाँध कल्पना को अपनी
ख्वाबो से खुश मत हो जा ।
सुनहरे पवन के स्पर्श से
एक कवि तू मत हो जा ।
बातो बातो में आज तू
एक दार्शनिक मत हो जा ।
निगाह तेरी मंजिल पर हो
रास्ते-संगियो मत खो जा ।
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