माशपेशियो में ताकत इतनी
पत्थर पिघला सकता हूँ,
है ढ्रडशक्ति इतनी, की
नदी पे बांध लगा सकता हूँ,
मुझमे शर्म नहीं है रत्ती
मल-मूत्र उठा सकता हूँ,
साहस की भी कमी नहीं,
सर तक कटा सकता हूँ ।
काम ही से मेरा मान है
यह मेरा स्वाभिमान है
है काम नहीं कोई भी नीचा
काम से हो, यह सर पर्वत से ऊँचा
तुम मुझको मत एहसान दो
हेयद्रष्टि भी मत तान दो
देना हो तो काम दो
काम का पूरा दाम दो ।
पत्थर पिघला सकता हूँ,
है ढ्रडशक्ति इतनी, की
नदी पे बांध लगा सकता हूँ,
मुझमे शर्म नहीं है रत्ती
मल-मूत्र उठा सकता हूँ,
साहस की भी कमी नहीं,
सर तक कटा सकता हूँ ।
काम ही से मेरा मान है
यह मेरा स्वाभिमान है
है काम नहीं कोई भी नीचा
काम से हो, यह सर पर्वत से ऊँचा
तुम मुझको मत एहसान दो
हेयद्रष्टि भी मत तान दो
देना हो तो काम दो
काम का पूरा दाम दो ।
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