Friday, October 12, 2012

वादा

वो वादा करके फिर से न आये 

मैंने घर को खूब सजाया
गुलदान में नया फूल भी लगाया 
इत्र हर जगह बिखराया 
वो वादा करके फिर से न आये ।

कल ही कमीज़ की बाईं जेब में 
जो छेद था, वोह भरवाया था 
आज पर दिल में एक छेद हो गया 
वो वादा करके फिर से न आये ।

स्वागत में उनके, हर काँटा बीन डाला
काँटा हाथ में तो एक न चुभा
दिल में चुभ गया
वो वादा करके फिर से न आये ।

आइना बदलते समय गिर गया
वोह गिर के भी न टूटा
मेरा दिल पर टूट गया
वो वादा करके फिर से न आये ।

सात बजे आना था, नौ बजे ख़त मिला
की अगले सोमवार आयेंगे
अगले सोमवार फिर एक ख़त मिला
वो वादा करके फिर से न आये ।

इस बार निकाह की पूरी तैयारी थी
डोली तो उनकी क्या उठी
जनाज़ा हमारा उठ गया
वो वादा करके फिर से न आये ।

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