Wednesday, October 17, 2012

अंत अभी बाकी है !

सर्पो ने फन खोला ही है, डसना अभी बाकी है
ये कंठ सूखे नहीं, सीलन इनकी बाकी है ।

बादल तो बरसे ही हैं, गर्जना अभी बाकी है
गुडिया की गुडिया में चाभी थोड़ी बाकी है ।

प्रेम रस को ही है सुना, वीर रस अभी बाकी है
धरती ही तो जीती है, आसमां अभी बाकी है ।

पर्वत सिर्फ पिघले हैं, उफनना अभी बाकी है
 ये तो शुरुआत है, अंत अभी बाकी है ।




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