अपनी रूचि और महत्वाकांक्षा की कीमत चुका रहे हैं
बेवफा research को बिना परिणाम किये जा रहे हैं ।
जिस बेवफा के लिए दी गयी हैं इतनी कुर्बानी
उसका तो पाना भी लगने लगा है अब बेमानी ।
पांच साल के बाद जाके किस को क्या दिखाएँ
चार पेपर-जो हम नहीं समझे, कैसे किसे समझाएं ।
B.Tech के B.Tech हैं, डिग्री अब तक हाथ न आये ।
1500$ के नौकर कैसे किसी का हाथ मांग लायें।
वर्तमान जहाँ धिक्कार और भविष्य अन्धकार,
ऐसे में कौन ही करेगा इस गरीब पर विचार ।
धिक्कार इस जीवन पर, अत्याचार की तो अति ही हो गयी
ऐसी दशा देख के, घरवालो की मिलायी लड़की भी रुष्ट हो गयी ।
ये किस्मत है फूटी के कल परिमाण सिद्ध निकले
research की तरह जब ये पटाखे भी सीले निकले ।
हमसे अच्छे तो हमारे वो जिगरी दोस्त निकल गए
BA किया, नौकर हुए, pension मिली और मर गए ।
बेवफा research को बिना परिणाम किये जा रहे हैं ।
जिस बेवफा के लिए दी गयी हैं इतनी कुर्बानी
उसका तो पाना भी लगने लगा है अब बेमानी ।
पांच साल के बाद जाके किस को क्या दिखाएँ
चार पेपर-जो हम नहीं समझे, कैसे किसे समझाएं ।
B.Tech के B.Tech हैं, डिग्री अब तक हाथ न आये ।
1500$ के नौकर कैसे किसी का हाथ मांग लायें।
वर्तमान जहाँ धिक्कार और भविष्य अन्धकार,
ऐसे में कौन ही करेगा इस गरीब पर विचार ।
धिक्कार इस जीवन पर, अत्याचार की तो अति ही हो गयी
ऐसी दशा देख के, घरवालो की मिलायी लड़की भी रुष्ट हो गयी ।
ये किस्मत है फूटी के कल परिमाण सिद्ध निकले
research की तरह जब ये पटाखे भी सीले निकले ।
हमसे अच्छे तो हमारे वो जिगरी दोस्त निकल गए
BA किया, नौकर हुए, pension मिली और मर गए ।
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