मास्टरजी ने कर रखी है रातो की नीद भंग |
गिरते सफ़ेद बालो को देख, हो जाते हैं हम दंग |
मोटापा और चेहरे की झुरियां करती हैं बड़ा तंग |
बढती उम्र और शादी की टेंशन ने कर दिया है हमें बिलकुल अपंग |
और इन सब की वजह से कट गयी है
हमारे आनंदों की पतंग |
इसलिए, ऐसी जिंदगी से आ गए हैं हम तंग |
गिरते सफ़ेद बालो को देख, हो जाते हैं हम दंग |
मोटापा और चेहरे की झुरियां करती हैं बड़ा तंग |
बढती उम्र और शादी की टेंशन ने कर दिया है हमें बिलकुल अपंग |
और इन सब की वजह से कट गयी है
हमारे आनंदों की पतंग |
इसलिए, ऐसी जिंदगी से आ गए हैं हम तंग |
रह गयी है जिंदगी में न अब कोई तरंग |
है अब सिर्फ एक ही उमंग |
की बना सके हमें कोई दबंग |
है अब सिर्फ एक ही उमंग |
की बना सके हमें कोई दबंग |
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