Sunday, November 18, 2012

हे प्रभु !

हे प्रभु ! आप यह किस संकट में छोड़ गए 

धर्म की हानी होने पर प्रकट होने का 
झूठा वादा करके, आप तो मुंह ही मोड़ गए |

कर्म कर और फल की इच्छा मत कर
ऐसा कह के, मेरे जीने की आस क्यूँ तोड़ गए |

No comments:

Post a Comment