Tuesday, January 8, 2013

लुट गए हम तो !

दरिया में कूद कर-डूब कर मर जाते, गम न था 
किनारे खड़े-खड़े, गहराई से डर के, लुट गए हम तो ।

दुखो में भी इतने दुखी न थे हम तो 
बीते सुखो की सोच में लुट गए हम तो ।

खोकर आजतक कुछ भी न खोया हमने 
झूठी आस लगा के लुट गए हम तो |

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